शादी से पहले अकेले घूमकर आइए इन 5 जगहों पर

आपकी बैंड बजने वाली है और कितने सारे काम है जो आपको करने हैं. मेहंदीवाली को बुक करना है, लहंगा खरीदना है, गहनों की शॉपिंग, और न जाने क्या-क्या. और ये बताने की जरूरत तो है नहीं कि इन कामों को करने में कितना पसीना बहता है. कभी कभी तो नुकताचीनी करने वाली उन आंटियों से दूर दो पल का चैन आपको सिर्फ अपने वॉशरूम में ही मिलता है.

तो इससे अच्छा आइडिया क्या ये नहीं कि इस चिल-पौं से दूर कहीं प्रकृति की खूबसूरती के बीच पनाह ली जाए? आप सिर्फ बैठें, आराम करें, मार्टीनी का सिप लें और रात को पार्टी करें, अब पसंद आपकी है. आइडिया अच्छा है न? तो यहां हैं कुछ खूबसूरत जगह जिनमें से कोई आप चुन सकती हैं.   

लेह में पाएं सुकून

जो खुद को क्वालिटी टाइम देना चाहते हैं उनके लिए लेह सबसे सटीक जगह है. अगर आपको एडवेंचर्स पसंद हैं और आपके होने वालो पति को नहीं तो फिर ये जगह आप ही के लिए है, जहां आप 'उनके' बगैर एक अच्छा समय बिता सकती हैं.

कड़कड़ाती ठंड का आनंद लेते हुए आप ट्रेकिंग कर सकती हैं, खूबसूरत नजारे अपनी आंखों में कैद कर सकती हैं और अगर दिल चाहे तो पहाड़ों पर चढ़ाई भी कर सकती हैं.
गोवा में खो जाओ

ये तो सब जानते ही हैं कि बहुत से शादीशुदा जोड़े अपने हनीमून के लिए गोवा जाते हैं. पर ये जरूरी तो नहीं की आप भी वही करें. पति के साथ इनजॉय करने के लिए तो पूरी लाइफ पड़ी है. तो थोड़ी देर के लिए 'उनसे' पीछे छुड़ाइए और गोवा जाइए.

नए दोस्त बनाइए, और मस्ती कीजिए. और ये बताने की जरूरत तो नहीं है कि वहां जाकर आपको वो मस्तीभरी बीच पार्टीज़ मिस नहीं करना है. और वैसे भी ये टूरिस्ट प्लेस है, तो वहां आपको किसी भी तरह की कोई कमी नहीं मिलेगी, न खाने पीने की चीजों में, न क्लब्स में और न ठहरने के लिए. जो आपके बजट में हो वो चुन लीजिए.

अपने आरामपसंद जीवन से दूर मिजोरम जाइए

अपनी शादी से कुछ हफ्तों या महीनों पहले का समय खुद को खोजने और नई चुनौतियां देने का है. क्यों? क्योंकि आप अपने जीवन के सबसे बड़े बदलाव की ओर जाने वाली हैं. तो क्यों न अपने आरामपसंद जीवन से थोड़ा बाहर आएं और वो करें जो आपने पहले कभी नहीं किया हो?

अपने बैग पैक कीजिए और मिजोरम के फोंगपुई के लिए निकलिए और गवाह बनिए नए तरह के खाने का, नई संस्कृति का और नए लोगों का. और जब आप वहां हों, तो वहां ब्लू माउंटेन जाना मत भूलिएगा. वो बहुत खूबसूरत है.

कन्याकुमारी की खूबसूरती में खो जाओ

अगर आप उत्तरी, पूर्वी या पश्चिमी भारत से हैं तो कन्याकुमारी शब्द सुनकर लगता है कि ये वो जगह है जो बहुत दूर है, लेकिन यकीन कीजिए दूर होने के बावजूद ये जाने लायक है. तो जाइए और किसी बंधन में बंधने से पहले भारत के उस सिरे को छू लीजिए और देखिए कि सागर महासागर में कैसे समा जाता है.

यकीन कीजिए खुद को पाने के लिए ये सबसे बेहतरीन जगह है. नया जीवन शुरू करने से पहले खुद को खोजिए, खुद को पा लीजिए.

धर्मशाला में सुकून तलाशिए

अपनी शादी वाले दिन के खत्म होते ही आप खुद को समाजिक बनता देखेंगी, लोगों से मिलना जुलना शुरू करेंगी, जैसे 'उनकी' मासियां, चाचियां, दोस्त, दूर के  रिश्तेदार, मिलने जुलने वाले और पता नहीं कौन कौन..ये लिस्ट खत्म नहीं होती. तो आपको करना ये है कि- केवल खुद के लिए थोड़ा समय निकालें.

तो लडकियों अपना सामान बांधो और धर्मशाला की तरफ निकल पड़ो. आप इस जगह मौजूद अनेकों मठों में भिक्षुओं का सानिध्य पा सकती हैं. और मन की शाति भी. और चूंकि आप अकेले इस जगह जा रही हैं, तो वहां आपका ध्यान भटकाने वाला कोई नहीं होगा. उम्मीद है कि जब आप वापस लौटेंगी, तो कभी न भूलने वाली सीखों के साथ लौटेंगी.

लेखक
 सरवत फातिमा सरवत फातिमा @ashi.fatima.75
लेखक इंडिया टुडे में पत्रकार हैं

Article Source 

http://www.ichowk.in/society/5-places-you-must-visit-alone-before-you-get-married/story/1/6369.html

मां-बाप और बच्चे एक ही बिस्तर पर सोएं, तो इसमें अजीब क्या है??

अगर मां-बाप और बच्चे एक ही बिस्तर पर सोएं, तो इसमें अजीब क्या है. जाहिर है कुछ भी नहीं, लेकिन यकीन कीजिए विदेशों में इसपर बवाल हो जाता है.
हमारे देश में तो माएं जब तक बच्चों को सीने से लगाकर सुला न दें, तब तक उनका मातृत्व अधूरा लगता है. ये हमारी संस्कृति का ही हिस्सा रहा है कि पूरा परिवार एक ही छत के नीचे होता है.
अब बात विदेश की. हाल ही में एक व्यक्ति ने फेसबुक पर अपनी पत्नी और बच्चों की तस्वीर शेयर की, जो एक ही बिस्तर पर सो रहे थे. इसे 'co-sleeping' कहा जाता है. हमारे लिए ये बहुत सामान्य तस्वीर है क्योंकि यहां तो ऐसा ही होता है, लेकिन इस तस्वीर ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी.

यूकॉन, ओकला के डेविड ब्रिंकले ने तस्वीर के साथ कुछ भावुक कर देने वाले शब्द भी लिखे, उन्होंने लिखा- 'एक पुरुष होने के नाते मैं कुछ चीजें साफ कर देना चाहता हूं. मैं ऐसी किसी भी चीज से नफरत नहीं करता जो मेरी पत्नी को एक मां बनाते हैं. मैं हमेशा उस चीज का सम्मान करुंगा जो वो मेरे बच्चों के लिए करती हैं. कभी कभी मैं बिस्तर के एक छोटे से कोने में सिमट जाता हूं, लेकिन वो मेरे बच्चों को थामे हुए कितनी खूबसूरत लगती है. उन्हें प्यार और सुरक्षा का अहसास कराती है.'
लेकिन 'co-sleeping' के आइडिए से बहुत से लोग सहमत नहीं थे. लोगों ने इसका विरोध किया. किसी ने कहा कि 'ये बच्चे के लिए खतरनाक है'. 'बच्चों को अकेला सोना चाहिए', 'बच्चों को पालने में सुलाना चाहिए'. जबकि कुछ लोगों का कहना था कि हजारों सालों से ये होता आया है, बच्चे माता-पिता के साथ रहें तो उन्हें अच्छी नींद आती है.

बहरहाल  'co-sleeping' पेरेंटिंग का एक विवादित विषय रहा है और इसपर एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय भी है. पर अमेरिका में पेरेंट्स कंज्यूमर प्रोडक्ट सेफ्टी कमिशन और अमेरिकन एकैडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (AAP) की सलाह ही मानते हैं. दोनों ही बच्चों को अपने साथ एक ही बिस्तर पर सुलाने के खिलाफ हैं, क्योंकि इससे दम घुटने जैसी दुर्घटना होने की संभावना होती है और बच्चे की अचानक मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है.


एक रिपोर्ट के मुकाबिक अमेरिका में हर साल करीब 3500 बच्चे रात को सोने के दौरान हुई परेशानी की वजह से मारे जाते हैं.  AAP के अनुसार वहां बच्चों को एक कमरे में तो सुलाया जा सकते है लेकिन एक बिस्तर पर नहीं. और साथ ही साथ ये सलाह भी दी जाती है कि बच्चे के साथ तकिए और कंबल भी न रखे जाएं, इससे दम घुटने की संभावना बढ़ती है.

वहीं एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर और Mother-Baby Behavioral Sleep Laboratory के डायरेक्टर डॉ. जेम्स जे.मैक्केना पिछले 30 सालों से  'co-sleeping' के पक्ष में काम कर रहे हैं. उनका कहना है - 'ये बायोलॉजी है. बच्चा जब मां को छूता है, उसे सुनता है, मां की खुशबू सूंघता है, तो बच्चे के शरीर का तापमान, धड़कन, हारमोन लेवल उस एक स्पर्श से जुड़े होते हैं. और वो साथ सोएं तो उनमें जुड़ाव बढ़ता है'
ये तो रही अमेरिका की बात, लेकिन नॉर्वे का कानून तो होश उड़ाने वाला है. 2011 में नॉर्वे में एक भारतीय दंपत्ति के दो बच्चों को माता-पिता से अलग कर दिया गया था, क्योंकि वो उन्हें अपने हाथों से खाना खिला रहे थे और अपने साथ एक ही बिस्तर पर सुला रहे थे. नॉर्वे से समाज सेवकों के माता-पिता का ये व्यवहार उचित नहीं लगा, ये कानून के खिलाफ था. तो उन्होंने दंपत्ति के 3 साल के बेटे और 1 साल की बेटी को उनसे अलग कर दिया. उनसे कहा गया कि दोनों बच्चों के 18 साल के होने तक वो उनसे साल में केवल दो बार ही मिल सकते हैं, वो भी एक घंटे के लिए. नॉर्वे से जुड़े हुए ऐसे कितने ही मामले हैं जो बच्चों की सुरक्षा को लेकर पेरेंट्स पर जुल्म ढ़ाते आए हैं.

वहीं 'co-sleeping' पूर्वी देशों में परवरिश का एक स्वाभाविक हिस्सा रहा है. भारत और चीन में बच्चे माता-पिता के साथ ही सोते हैं. जबकि पश्चिमी देशों में इसे खतरनाक कहा जाता है.

तो आपको किसकी बात माननी है ये आपकी अपनी समझ है. और वैसे भी अपने बच्चों को लेकर भला कौन लापरवाह होता है. वो कीजिए जिसमें आपको और बच्चों दोनों को रात को चैन और दिन में सुकून मिले.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

Article source 
http://www.ichowk.in/society/sleeping-with-babies-is-a-strange-point-of-debate/story/1/6343.html 

EXPERIMENT POURING COCA COLA IN STOMACH ACID!! - EPIC REACTION!


Badri Ki Dulhania (Title Track) Varun, Alia, Tanishk, Neha, Monali, Ikka | "Badrinath Ki Dulhania"


बंगलौर के डॉक्टर ने गोरे होने के ऐसा तरीका खोज निकाला है की अमेरिकन कंपनियां इस तड़के को बंद करना चाहती है!

हर साल त्वचा को गोरा बनाने वाली इंडस्ट्री अरबों रूपये कमाती है फिर भी कोई भी कभी गोरा नहीं होता। क्या ये थोड़ा अजीब नहीं है ? चाहे यह केमिकल से त्वचा को छीलने का दर्द भरा तरीका हो, नुकसानदायक सीरम हो, या फिर जोखिम भरे लेसर उपचार हो, इनमे से कोई भी कभी काम नहीं करता ! दुष्ट बहुद्देशीय कंपनियां इन नकली उत्पादों का प्रचार करती रहती हैं और अमीर होती रहती हैं, पर हमे कभी भी परिणाम नहीं मिलते ।

यह स्वार्थी कंपनियां आपको यह नहीं जानने देना चाहती कि भारत में पुरुषों और महिलाओं ने तुरंत ही गोरे होने का एक तरीका खोज लिया है । कोई चालबाजी नहीं, कोई दर्द नहीं, केवल परिणाम।

गोरी त्वचा के लाभ, आप पूछते हैं ? यह वैज्ञानिक तौर पर साबित हो चुका है कि सुन्दर इंसान अपने विपरीत लिंग के इंसान को जल्दी आकर्षित करता है । उन्हें डेट्स भी जल्दी मिल जाती है ।

यह भी साबित हुआ है कि गोरे, अच्छे दिखने वाले लोगो को जॉब इंटरव्यू के लिए ज्यादा बुलाया जाता है और ज्यादातर उनका हे चयन होता है । वे एक जैसे जॉब में ही अधिक भरोसेमंद दिखते हैं और अधिक कमाते हैं ।

आप कल्पना कर सकते हैं कि यह छोटे-छोटे लाभ मिलकर ख़ुशी और जीवन की संतुष्टि में एक बड़ा अंतर लाते हैं । हर कोई अच्छा दिखना चाहता है, अच्छा लगना चाहता है , अच्छा होना चाहता है । क्या आप नहीं ? गोरी त्वचा पहला कदम है ।

रडयांस इंस्टेंट स्किन ब्राइटनेर एक तहलका मचा देने वाला गोरे होने का तरीका है जो कि बंगलौर के एक डॉक्टर ने आपकी त्वचा को तुरंत ही गोरा करने के लिए बनाया है । इससे बनाने में ७ साल लगे और यह दुनियाभर में अपने अविश्वश्नीय परिणाम के लिए जाना जाता है । रडयांस के साथ आपकी त्वचा तुरंत ही ५ शेड तक गोरी हो जाती है ! यह 100 % प्राकृतिक घटकों से बना है , और तुरंत ही उन जिद्दी गहरे धब्बों और काले घेरों को मिटा देता है । (1)(2)(3)

बाजार में आते ही रडयांस उन लोगो के लिए उलब्ध हो गाया है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, जैसे २८ वर्षीय सान्वी जोहर को ।

पिछले साल, सान्वी ने सोचा कि उसके काले होने के कारण उसकी शादी कभी भी नहीं होगी, अब उसकी सगाई अपने सपनो के राजकुमार से हो गई है ।


"यह सब रडयांस की महेरबानी है,” सान्वी ने हमे बताया । “पूरे जीवन भर में मैं बहुत काली थी और मैंने हर चीज का इस्तेमाल किया खुद को गोरा करने के लिए, कुछ भी काम नहीं किया । मैं बहुत ही निराश थी और मैंने उम्मीद छोड़ दी थी कि मुझे मेरे लायक कोई हमसफ़र मिलेगा, पर फिर मुझे रडयांस मिला और मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ कि कितनी जल्दी लड़को का नजरिया मेरे प्रति बदल गया ! मेरी माँ मजाक में कहने लगी कि मेरे पास पहने कोई विकल्प नहीं था अब बहुत से विकल्प हैं !”

" बिलकुल" उसने ये भी बताया " मेरे मंगेतर ने पहले मुलाक़ात में मुझसे यही कहा कि मैं कितनी गोरी और सुन्दर हूँ । उसने मुझे मेरे गाल चूमने के लिए भी पूछा क्योंकि उसे मेरी त्वचा बहुत अच्छी लगी ।“

पर कौन सी विशेषता रडयांस को इतना प्रभाव बनाती है ?

पहला, इसमें क्रांतिकारी नैनो कण हैं जो कि प्रकाश को परावर्तित करते हैं और तुरंत ही एक बेहतरीन त्वचा देते हैं । फिर आप जैसे जैसे समय के साथ रडयांस का इस्तेमाल करते जाते हैं असली जादू चालू होता है । यह क्षतिग्रस्त त्वचा की मरम्मत करता है और आपको वह गोरी त्वचा देता है जिसका आप लंबे समय से सपना देख रहे थे । (1)(2)(3)

रडयांस उस तरह का नहीं है जो आपने या आपके डॉक्टर ने सोचा होगा कि ऐसा हो सकता है । यह विज्ञान का एक चमत्कार है जिसे खुद देख के ही भरोसा किया जा सकता है !

रडयांस की निर्माताओं में आत्म विशवास भरा हुआ है कि आप उनके उत्पाद को पसंद करेंगे इसलिए वे 60% छूट भी दे रहे हैं ताकि आप परिणाम को खुद डेक सकें । पर आपको जल्दी करना होगा, अब जबकि यह राज सामने आ गया है रडयांस बहुत अधिक समय के लिए उपलब्ध नहीं रहेगा । घोषणा के रूप में, सिर्फ 300 बोतल ही बची हैं ! भारत भर में त्वचा विशेषज्ञ अपने मरीजों को इसका सुझाव दे रहे हैं और वे जितनी बोतल खरीद सकते हैं खरीद रहे हैं इससे पहले कि यह खत्म हो जाए । बिना जोखिम वाले रडयांस को आज एक बार उपयोग करके देखें और खुद परिणाम देखिये । यह सच में काम करता है !


Article Source :- http://www.smartnewsnow.com/index_h_cb.html?voluumdata=BASE64dmlkLi4wMDAwMDAwMi0wZmQ2LTQwYzEtODAwMC0wMDAwMDAwMDAwMDBfX3ZwaWQuLjc2ZDE3MDAwLTAzYzQtMTFlNy04NzBjLWU5YTA5ZjQzZjBjOV9fY2FpZC4uZTlkYmY3M2UtMjRjMy00YzhiLTllNjEtNDRkNzUxOWE2NzNlX19ydC4uUl9fbGlkLi42ODU2YzAzZi1hNDcyLTQ5ZmEtYThjOC00ZGZkMzc3ZjAzM2RfX29pZDEuLjQ1YzhiYzhlLWMxZmMtNGQwYi05NGU3LWU1ODc4ZmNjNzg0ZF9fdmFyMS4uaW5kaWF0b2RheS1pY2hvd2tfX3ZhcjIuLkgxMV9fcmQuLnRyY1wuXHRhYm9vbGFcLlxjb21fX2FpZC4uX19hYi4uX19zaWQuLg&adid=H11&source=indiatoday-ichowk

सच हुई इतिहास की भविष्यवाणी... जानें, आगे क्या होगा

इतिहास ने जो भविष्यवाणी की थी आखिरकार वो सच हो ही गई. इतिहास की मानें तो टीम इंडिया पहला टेस्ट हारने के बाद आगे के मैच जीतने के लिए जी जान लगाती है. बैंगलुरु में यही देखने को मिला. यही नहीं ये तक कहा जा रहा है कि विराट की सेना, अब आगे के मैच में भी इस वापसी को कायम रखेगी और सीरीज जीतने में कामयाब हो सकती है.

टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट सीरीज शुरू हुई तो लगा इस बार विराट कोहली की सेना ऑस्ट्रेलिया को भारतीय पिच फिर चकमा देने के लिए तैयार है और थी भी... लेकिन पहले मैच में वो हुआ जिसका किसी को भरोसा नहीं था. ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 333 रन से मात दी थी. इस जीत के बाद एक ओर जहां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ ने उन सभी क्रिकेट पंडितों और क्रिकेट विश्लेषकों को करारा जवाब दिया, जिन्होंने सीरीज में कंगारुओं के 4-0 से हार की भविष्यवाणी की थी.

पहली जीत के बावजूद कंगारू कप्तान स्टीवन स्मिथ भी खौफ में थे क्योंकि वो जानते थे कि भारत की हार में कहीं न कहीं जीत छिपी हुई है और हुआ भी वही, बैगलुरु में खेले गए दूसरे टेस्ट की शुरुआत में लग नहीं रहा था कि टीम इंडिया जीत का टीका लगा पाएगी. लेकिन दूसरे सेशन में शानदार वापसी करते हुए टीम इंडिया ने जीत हासिल की. इतिहास भी कह रहा था कि पहला मैच हारने के बाद टीम इंडिया ओर खूंखार हो जाती है. टीम इंडिया ने भी जख्मी शेर की तरह कंगारुओं पर झपट्टा मारा और जीत हासिल की. आइए जानते हैं स्मिथ ने क्यों कहा था कि जीत के बाद भी बचकर रहे टीम इंडिया से...

पहला टेस्ट में सेन्चुरी बनाने के बाद कप्तान स्टीवन स्मिथ

सीरीज के पहले ही टेस्ट मैच में हार झेलने के बाद दबाव कंगारुओं पर नहीं बल्कि भारतीय टीम पर था. कप्तान स्टीवन स्मिथ ने अपने खिलाड़ियों को कह दिया था कि पहली जीत से ओवर कॉन्फिडेंट न हों, क्योंकि टीम इंडिया कमबैक के लिए जी तोड़ कोशिश करेंगी और हुआ भी वही. कंगारू कप्तान ने ये बात ऐसे ही हवा में नहीं की थी. वो भी इंडिया पूरी तैयारी से आए हैं.

प्रेक्टिस के साथ-साथ किताबें भी पढकर आए हैं जिसमें बताया गया है कि टीम इंडिया कमबैक में माहिर मानी जाती है. हम आपको कुछ ऐसी ही टेस्ट सीरीज के बारे में बता रहे हैं, जिनमें भारत ने पिछड़ने के बाद ना सिर्फ वापसी की बल्कि सीरीज भी जीती है. भारतीय कप्तान विराट कोहली ने पुणे टेस्ट मैच में हार के बाद मीडिया को दिए गए अपने बयान में यह भरोसा दिलाते हुए कहा भी था कि आगामी टेस्ट मैचों में पहली गेंद से ही फर्क दिखाई देगा.

श्रीलंका को हराने के बाद जश्न मनाते विराट कोहली

श्रीलंका के खिलाफ 2015-16 की टेस्ट सीरीज

ऐसी ही स्थिति दिखाई दी थी श्रीलंका में... जब टीम इंडिया तीन मैंचों की टेस्ट सीरीज खेलने गई थी. टेस्ट में टीम इंडिया श्रीलंका से काफी बहतर मानी जाती है. जब पहला मैच इंडिया 162 रन से हारी तो फैन्स भी शौक रह गए, कि टीम इंडिया सीरीज कैसे जीतेगी. फिर टीम इंडिया ने शानदार वापसी करते हुए श्रीलंका को दूसरा टेस्ट 278 रन से और तीसरा टेस्ट 145 रनों से हराया. ऐसे टीम इंडिया ने 2-1 से सीरीज अपने नाम की.


2000-01 सीरीज में हरभजन थे सीरीज के हीरो

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2000-01 की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज

2000 के दशक में ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट में सिक्का चलता था. बहुत कमी ही बार हुआ है कि इस टीम को कोई हरा पाया हो. 2000-01 में खेली गई ये सीरीज टीम इंडिया के लिए ऐतिहासिक साबित हुई. ये सीरीज काफी फिल्मी थी, जिसमें भरपूर ड्रामा था. पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 10 विकेट से हराया फिर फैन्स ने भी हार की उम्मीद लगा बैठे थे. फिर दूसरे टेस्ट की पहली पारी में 274 रनों की बढ़त बनाने और भारत को फॉलोऑन खिलाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को हार मिली. तीसरे टेस्ट में हरभजन सिंह की बदौलत टीम 2 विकेट से जीती और सीरीज 2-1 से अपने नाम की.

1972-73 सीरीज में टीम इंडिया को मिली थी शानदार जीत.

इंग्लैंड के खिलाफ 1972-73 में खेली गई टेस्ट सीरीज

70 के दशक में वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड तीन टीमों का नाम चलता था. उस दौरान फारुख इंजीनियर की टीम ने इंग्लैंड पर जबरदस्त जीत हासिल की. पांच मैचों की इस टेस्ट सीरीज में भारत को इंग्लैंड से दिल्ली में हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद टीम इंडिया ने जोरदार वापसी करते हुए अगले चार टेस्ट मैचों में से दो में जीत हासिर की और सीरीज 2-1 से अपने नाम की.

टीम इंडिया ने जिस टर्निंग प्वाइंट पर पहुंच कर सीरीज में जीत हासिल की उसको देखकर लगता है कि इस बार विराट कोहली की टीम जी तोड़ कोशिश करेगी और इतिहास को देखकर लगता है कि दूसरा टेस्ट जीतकर टीम इंडिया अब सीरीज पर कब्जा करेगी.
http://www.ichowk.in/sports/after-first-test-loss-history-is-in-favour-of-team-india/story/1/5933.html
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